भाषा : काल
क्रिया के सम्पन्न होने के समय की सूचना देने वाले क्रिया रूप को काल
कहते हैं। कुमैयाँ में दो प्रकार के काल उपलब्ध होते हैंः
अ – मूल काल
एक क्रिया रूप वाले काल को मूल काल कहते हैं। एक क्रिया रूप की रचना
तिड.् या कृत् के योग से होती है, अतः मूलकाल के दो भेद किये जाते हैंः
1. तिडन्ती रूपः धातुओं के अन्त में लगने वाली विभक्तियों को तिड़. कहते
हैं। तथा तिड.् से युक्त क्रिया रूप तिड.्न्ती कहलाते हैं; जैसेः
घर् हिट् ः $ 0
कि करूँ ः $ ऊँ
2. कृदन्ती रूपः धातुओं के अन्त में लगने वाले प्रत्ययों को कृत् कहते हैं तथा
कृत् से युक्त क्रिया रूप कृदन्ती कहलाते हैं, जैसेः
को् गौ ः औ – गया
इन खान् ः न् – खाते
इनके अतिरिक्त सहायक क्रिया छ के वर्तमान कालिक तथा भूतकालिक रूप भी
अकेले होने पर मूलकाल द्योतित करते हैं, जैसेः
उ पुजारि छ ः अस्तित्व
पोर मंदिरै में छ्यो ः सम्बन्ध