भाषा: अन्य अर्थ – तीन:
3. आज्ञार्थ – आज्ञा के प्रत्यक्ष या परोक्ष भाव का बोध् कराने वाले क्रिया रूप को
आज्ञार्थ कहते हैं। इसे क्रिया रूप रचना के स्तर पर जाना जा सकता है। जैसेः
तु भ्यार जा्।
तै जरूर कर्ये।
4. संकेतार्थ – कार्य और कारण का संकेत प्रदान करने वाले क्रिया रूप को संकेतार्थ
कहते हैं। इसमें समुच्चय बोध्क अव्ययों या अन्य शब्दों की सहायता भी ली जाती है।
इसकी जानकारी वाक्य रचना स्तर पर सम्भव है, जैसेः
अगर उ पुछ्ना्े त वी खन जबाब मिलि जा्ना्े।
कभ्भंै मि पुछ्नू त उ के नै कौ।
5. संदेहार्थ – संदेह की अभिव्यंजना करने वाले क्रिया रूप को संदेहार्थ कहते हैं। यह
एक क्रिया रूप से उतना स्पष्ट नहीं हो पाता जितना दो क्रिया रूपों से। इसका बोध्
वाक्य रचना स्तर पर होता है, जैसेः
उ काँई जै रै हो्ला्े।
वीक भै उन्नै हो्लो्।