विशेष : हिंदी के रूप
विश्व में दस भाषा परिवार माने जाते हैं। इन भाषा परिवारों की भाषाओं में पर्याप्त
अन्तर पाया जाता है, पर एक परिवार की भाषाओं में अनेक सामान्य वि’ोषताएं
होती हैं। हिन्दी भारोपीय परिवार की भाषा है। प्रत्येक भाषा की कुछ निजी विशेषताएं
होती हैं, जिनके कारण उसका नैसर्गिक उन्नयन होता है। इस प्रक्रिया में भाषा के
क्षेत्र विस्तार के साथ-साथ उसका साहित्य भी पुष्पित – पल्लवित होता है।
देश के विभिन्न भागों में समय-समय पर इसके विविध रूप भी विकसित हुए ;
जैसे – हिन्दी, हिन्दवी, हिन्दुस्तानी, उर्दू, रेख्ता आदि। हिन्दी भाषा ने शिक्षा और
सिनेमा के माध्यम से अहिन्दी भाषी राज्यों में भी अपनी जगह बनाई, जिससे वहांं
हिन्दी के अनेक स्थानीय रूप विकसित हुए ; जैसे – मुंबई में मुंबइया, हैदराबाद में
हैदराबादी आदि।
हिन्दी की इस विशेषता को पहचान कर ही गांधी जी ने उसे संपर्क भाषा के रूप में
चुना और राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसके बाद अहमदाबाद में गुजरात
विद्यापीठ तथा महाराष्ट्र में हिन्दी विद्यापीठ, वर्धा की तरह देश में हिन्दी के शिक्षण
हेतु अनेक स्वैच्छिक संस्थाओं की स्थापना हुई।