सिनेमा : मनोरंजन :
जीवन के रहस्यों को सुलझाने के लिए ज्ञानियों और जगत की जिज्ञासाओं का
शमन करने के लिए विद्वानों ने प्रत्येक युग में विविध प्रयास किए हैं। ज्ञानी
अतीन्द्रिय तथा विद्वान ऐन्द्रिक माध्यमों से जिज्ञासुओं को संतुष्ट करते रहे हैं।
ऐन्द्रिक माध्यमों के समय समय पर ग्राहकों की रुचि के अनुरूप विभिन्न स्तर
बनते रहे हैं, क्योंकि जनसाधारण को सदैव मनोरंजक विधि से समझाने का
प्रयत्न किया जाता रहा है।
जनता जनार्दन को मनोरंजन के साथ साथ सामयिक संतोष प्रदान करने वाली
सरल विधाओं में संप्रति सिनेमा को वि’ोष महत्व प्राप्त हुआ है, जिसमें भावों
तथा विचारों को नाटकीय ढंग से संवादों व गीतों में गूंथकर श्रवण एवं दर्शन
द्वारा मन व बुद्धि को एक साथ प्रभावित करने की क्षमता है।
कोई भी कला यथार्थ से उद्भूत होकर कल्पनालोक में पूर्णता प्राप्त करती है।
इसी कल्पनालोक की कृपा से सिनेमा के पर्दे पर स्वर्गलोक या पाताललोक के
अद्भूत दृश्य पैदा किए जाते हैं और वहां के विचित्र देवी देवताओं के प्रत्यक्ष दर्शन
करवाने में धार्मिक फिल्मों का अत्यंत सराहनीय योगदान रहा है।