घौताक इजार में सांपल 1

ghaut a1लोककथा : घौताक इजार में सांपल 1

हिंदी अनुवाद : किसी गाँव में दो व्यक्ति रहते थे। दोनों ही काम के नाम पर
तो तिनके को तोड़कर दो टुकड़े तक न करते। दिन भर किसी जगह पर बैठा
हुक्का गुड़गुड़ाते व गप्पें हांका करते। गप्पें हांकने में न तो पहले में कोई कसर
थी और न दूसरे में ही।

जाड़े की ऋतु में एक दिन उनमें से एक धूप की ओर पीठ लगाए लकड़ी के लट्ठे
की तरह पड़ा हुआ था। दूसरा भी डोलता भटकता उसी ओर आ निकला। समान
प्रकृति के दो आदमी मिल गये तो फिर कहना ही क्या। एक ने दूसरे से पूछा –
”मित्र,यह तो बताओ, तुम इतने मोटे ताजे किस तरह बन गए। आखिर तुम खाते
क्या हो? अच्छा खाते-पीते रहने पर भी मेरी तो चेहरे की हड्डियाँ उभर आई हैं।“

दूसरा गप्पी मित्र बोल उठा – ”अरे अब तो ऐसा वक्त आ गया है कि क्या खावें,
क्यापिएँ। वह तो मेरे पिता जी ने प्रचुर मात्रा में घी खाया था। इतना अधिक घी
खाया करतेथे कि हमारे स्वास्थ्य का रहस्य भी वही घी है। देख तो सही मेरे हाथ
पाँव। कितनेमुलायम और चिकने हैं, वही पिताजी द्वारा खाए गए घी की बदौलत।
खैर यह तो जो कुछभी हुआ। पर यह तो बताओ, मित्र, तुम्हारे पास तो बहुत
जमीन जायदाद है। तुम तो कभीकाम करते नजर आते नहीं, आखिर इतनी जमीन
में खैती कैसे करते हो?“

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Published by

Dr. Harishchandra Pathak

Retired Hindi Professor / Researcher / Author / Writer / Lyricist

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