भाषा : अर्थ :
निश्चय, सम्भावना, आज्ञा, संकेत व सन्देह की वृति प्रदर्शित करने वाले
क्रिया रूप को अर्थ कहते हैं। जैसेः
1. निश्चयार्थ – निश्चित सूचना देने वाले क्रिया रूप को निश्चयार्थ कहते हैं।
इसका प्रयोग सभी कालों में होता है, जिसका बोध रूपरचना तथा वाक्य रचना
से होता है, जैसेः
कथनः गाडि़ निसि गै : भूत
रूपरचना
निषेधः मि नै जूँ : भविष्य
प्रश्नः ह्यूँ पंड़़छ? : वर्तमान
वाक्य रचना
वर्णनः हाव चलन्नै : वर्तमान
2. सम्भावनार्थ – सम्भावना व्यक्त करने वाले क्रिया रूप को सम्भावनार्थ कहते हैं।
इसका प्रयोग तीनों कालों में होता है। इसका निर्धारण क्रिया की रूपरचना के स्तर
पर सम्भव है, जैसेः
शायद वाँ मीटिंग है रै।
है संक्छ अब ऊ याँई रौ।