गजल : वृक्ष :
प्राणवायु के चिरपरिचित भण्डार वृक्ष हैं
जीव जंतुओं के जीवन आधार वृक्ष हैं
बसी हुई दुनिया उजाड़ना ठीक नहीं है
छोटे बड़े पक्षियों का घरबार वृक्ष हैं
आभूषण के बिना कहां होती है शोभा
धरती माता का पावन श्रंगार वृक्ष हैं
अगर बचानी है पृथ्वी तो वृक्ष बचाओ
चेतन और अचेतन का संसार वृक्ष हैं