कबीर वाणी :
दोहानुवाद : स्वामी :
स्वामी एत्ती दी कि यो
घर पर्वार चलौ
मी लै नै रौं भुख कभैं
साधू भुख नी जौ
म्यर मीथैं के लै नाहन
जीलै छू उ त्यार
त्या्र त्वे ई कै सौंपणा
के लागणौ छ म्यार
सुख मैं सब संसार छू
खाणौ और सिणौ
दुख मैं दास कबीर छू
जागणौ और रुणौ