भाषा : प्रयोग :
क्रिया का प्रयोग तीन प्रकार से होता हैः
क. कर्तरि प्रयोग : व्याकरणिक दृष्टि से कर्ता के अनुसार बनने वाले क्रिया रूप
को कर्तरि प्रयोग कहते हैं। यह प्रयोग अकर्मक क्रिया, एक कर्मक क्रिया, द्विकर्मक
क्रिया तथा अस्तित्व वाचक क्रिया के साथ होता हैः
गणेस आछ।
गणेस जंगल् जा्ला्े।
गणेस मंजू खन क्या्प समझून्नौ।
गणेस जीप में डिरेवर छ।
ख. कर्मणि प्रयोग : व्याकरणिक दृष्टि से कर्म के अनुसार बने क्रिया रूप को कर्मणि प्रयोग कहते हैं। यह प्रयोग निम्नवत् होता हैः
मीले् बल्द चराछ।
ग. भावे प्रयोगः व्याकरणिक दृष्टि से असामथ्र्य प्रकट करने हेतु बने क्रिया रूप
को भावे प्रयोग कहते हैं। यह प्रयोग निम्नवत् होता हैः
वीक् पुत् माच्छ नै मारीन।