लोकगीत : लगन की बेला :
चंदन चौकी बैठी लड़ैती
केश दिए छिटकाय ए
लाडि़ के बाबुल यूं उठि बोले
केश संभालो मेरी लाडि़ली
अब कैसे केश संभालूं मेरे बबज्यू
आई है लगन की बेला ए
हाथ गड़ुवा ले मायडि़ ठाड़ी
बबज्यू पहिलि धोतिया
बबज्यू हमारे थर-थर कंपे
जैसे वायु से पात ए
तुम मत कांपो बबज्यू हमारे
आई है लगन की बेला ए
हम नहिं कांपें बेटी हमारी
कापें कुश की डालियां
लाडि़ के चाचाज्यू यूं उठि बोले
केश संभालो मेरी लाडि़ली