भाषा : वाच्य :
कर्ता, कर्म या भाव की प्रधानता व्यक्त करने वाले क्रिया रूप को वाच्य
कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं –
1. कर्तृवाच्य : कर्ता की प्रधानता व्यक्त करने वाले क्रिया रूप को कर्तृवाच्य
कहते हैं।
नंदू इस्कूल जान्नौ।
मीरा झाड़ काटन्नै।
2. कर्मवाच्य : कर्म की प्रधानता व्यक्त करने वाले क्रिया रूप को कर्मवाच्य
कहते हैं। इसमें एकाधिक क्रिया रूप होते हैं; जैसे –
मंदिर में पुज करि जाँछि।
गड़ मैं काम कर्न पँड़्छ।
3. भाववाच्य : भाव की प्रधानता व्यक्त करने वाले क्रिया रूप को भाववाच्य
कहते हैं। इसका अध्कि प्रयोग नहीं होता, जैसेः
म्यर पुत् नै हिटिन्नयो्।
यौं कस्यैं रईलो्।