कबीर वाणी
दोहानुवाद : उपदेश :
कबिरा एस धन जोड़न चैं
अघिल अऔ जो काम
खोरि मैं राखि बेर पुंतरी
क्वे लै नै ल्ही जान
भोल करण जो आज कर
आजौ करणो अब
पल मैं परलय होलि त
फिर करले तू कब
निंदक दगड़ै राखण चैं
आंगन छा्न छैबेर
बिन सापणा स्वभाव हूं
निर्मल करी दिनेर