लोकगीत : वर चर्चा :
पूरब ढूंढो बेटी पश्चिम ढूंढूं नहिं पाया लाडि़ को कांत ए
उत्तर ढूंढो बेटी दक्षिण ढूंढूं नहिं पाया लाडि़ को कांत ए
एक जो पायो बेटी दक्षिण दिशा वी होलो लाडि़ को कांत ए
वर छ ठूलो बेटी घर छ नानो वी होलो लाडि़ को कांत ए
दिन में बनिया बणज करलो रात सूं जुवा हार ए
उस रे मुरख का झन दिया बाबुल कुल तुम्हारो लाज ए
एक जो पायो बेटी उत्तर दिशा वी होलो लाडि़ को कांत ए
घर छ ठूलो बेटी वर छ नानो वी होलो लाडि़ को कांत ए
हाथ छ धोती कांख में पोथी बैठी पुराण सुनाइए
उस रे पंडित का दियो मेरो बाबुल कुल तुम्हारो उज्यालि ए .