सिनेमा : प्रेरणा :
सच तो यह है कि बाल्यकाल जीवन की प्रारंभिक तथा सर्वाधिक महत्वपूर्ण
अवस्था होती है। इस अवस्था में तन के लिए पोषक, मन के लिए रोचक
व मस्तिष्क के लिए प्रेरक सामग्री की आव’यकता होती है, क्योंकि स्वस्थ
तन, उदार मन व सजग मस्तिष्क ही मिलकर एक आकर्षक व्यक्तित्व की
संरचना कर सकते हैं। व्यक्तित्व की बुनियाद में संस्कारों के अतिरिक्त वातावरण
की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इन्ही के आलोक में जीवन को सही दिशा
की प्रेरणा प्राप्त होती है।
यहां पर यह उल्लेख करना भी असंगत नहीं होगा कि सांप्रतिक परिवेश में
काल्पनिक कहानियों के अलावा बच्चों को ऐसी वास्तविक पे्ररणाओं की ज्यादा
जरूरत है, जो उनकी मानसिकता को जीवन के कठोर यथार्थ से जूझने के लिए
सन्नद्ध कर सकें।
इंसाफ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा नेता तुम्ही हो कल के