लोकगीत : विवाह मण्डप :
अंबन-खंबन दियो जगायो जगमग ज्योत उजालो जी
लाल ही कमल झमक बिछौना आए बिदेसिया लोग जी
कहां के तुम बिदेसिया लोगो कहां ब्याहने आए जी
रामीचंद्र गारि कहा कैसे दीजे लछीमन गारि जी
कैसे दीजे जाके एक बाबा तीन महतारी जी
श्रीकृष्ण गारि कहा कैसे दीजे उन्हूं गारि जी
कैसे दीजे जाके एक बाबा दो महतारी जी
आज की गारी बहुत रसीली मन में दुख न मानो जी
दुल्हा गारी समधी गारी सब बराती गारी जी
कैसे दीजे जनिके एकै बाबा और एक महतारी जी
कहां बन के खंब मंगाए कहां बन के वासा ए
कदली बन के खंब मंगाए बृंदा बन के वासा ए
कवन पंडित को लाडलो दूल्हा कवन सज्जन की धीया ए
पंडित दशरथ को लाडलो दूल्हा सज्जन जनक की धीया ..