लोकगीत : धूल्यर्घ :
अरघ दे बाबुल अरघ दे मैया
कै द्यूं मैं धूलि अरघ तो को रे बेवैया
जैका अंग बाजू होला मनरैया
वी दियो धूलि अरघ सो रे बेवैया
अंग बाजू सब लोग मनरैया
कै द्यूं मैं धूलि अरघ तो को रे बेवैया
जैका कान मोती होला मनरैया
जैका मुंह बीड़ा होला मनरैया
जैका सिरही मुकुट पैरी मनरैया
वी दियो धूलि अरघ सो रे बेवैया
पैलो अरघ पांव दीजो मनरैया
दूजो अरघ घुना दीजो मनरैया
तीजो अरघ जंघा दीजो मनरैया
चौथो अरघ नाभि दीजो मनरैया
पांचू अरघ कमर दीजो मनरैया
छटो अरघ बांह दीजो मनरैया