ग़ज़ल : नहीं भाता :
बिना पेड़ों के घर नहीं भाता
हमको तेरा शहर नहीं भाता
ये मशीनों औ मोटरों वाला
घरघराता हुनर नहीं भाता
हर तरफ बेतुकी आवाजों का
जान लेवा जहर नहीं भाता
जो बिना बात के बहरा कर दे
शोर-गुल का कहर नहीं भाता
ग़ज़ल : नहीं भाता :
बिना पेड़ों के घर नहीं भाता
हमको तेरा शहर नहीं भाता
ये मशीनों औ मोटरों वाला
घरघराता हुनर नहीं भाता
हर तरफ बेतुकी आवाजों का
जान लेवा जहर नहीं भाता
जो बिना बात के बहरा कर दे
शोर-गुल का कहर नहीं भाता