लोकगाथा : गंगू रमोला 8
बैठि भल रैछ प्रभू भगवानूँ की सभा।
रमोली का गढ़ बैठ्या बुड़ गंगू रमोला।
दही अधरात भगवानूँ स सपिन है गयो।
दिगौ सपनें में धेकी तिनले रमोली को गढ़।
शिवो, सपनें में धेकी रतङाली सेरि।
वे शाली जमाली, हंसराज बासमती।
शिवो पाकी भल रैछ साली बासमती।
दहो, रागघौली गढ़ होली हवापुरी कोठि।
द्वारिकाय भगवानूँ की नींन टुटि गैछ।
भगवानू ले बजै आब बाँस की बाँसुली।
भगवानूँ की राणी बोलन पैछन-
कि म्यर स्वामी आज खाट उप्याँ लाग्यन।
कित म्यर कयाँ आज स्यो ढोक लेनी भैं।
मैले देख्यो राणि आज बद्रीनाथ देश
रमोली को गढ़, बुड़गगू रमोला कि घटड्याली सेरी
खीर जसि थाल देखी दाया जसो फूल।