लोकगीत : व्यवस्था :
हरे.हरे बांस काटो मेरे बाबुल
ऊँची है चौपाल रे
कति लख आए हस्ति रे घोड़ा
कति लख आए बरात रे
कति लख आए नउवा रे धीवर
कति लख आए पनिहारि रे
नौ लख आए हस्ति रे घोड़ा
बीस लख आए बरात रे
दस लख आए नउवा रे धीवर
सोलह सौ पनिहारि रे
या दल देखि डरे मोरे बाबुल
रहो बेटी कन्या कुमारि रे .