07 – कारण मूलक कथाएं :
इस वर्ग की कथाएं अपने श्रोताओं की अनेक प्रकार की जिज्ञासाओं का शमन करती हैं ;
जैसे – शवदाह के बाद घर लौटते हुए रास्ते में कांटे क्यों दबाए जाते हैं ? आदमी को
अपने खाने की चीजें खुद क्यों उगानी पड़ती हैं ? अनाज फुनगियों पर ही क्यों लगता है ?
आदि। इस प्रकार सामान्य ज्ञानवर्धक होने के कारण इनका अपना अलग महत्व है। उदाहरण –
लोककथा : क – को छै रे :
मूल कथा : जब तक बुडि़ बाडि़ ज्यून छिया द्वियै भाइनौको कारबार दगड़ै भै। बुड़ बुडि़या का
मरि बै देराणि जेठाणि कि आपस में निभि नैं और द्वियै न्यार हैगे। गोठा का बल्द बांटि गे,
खेताका पुछाड़नौंक हिस्स बान है गे, घरै कि भानि-भद्याइ अलग अलग है गे। बीच में काठै
कि पटबड़ हालि बेर द्वियै देराणि जेठाणिंयां अलग अलग रूंण लागिन।
बैसाग मे धाननै कि बोवाइ हुं खेत तैयार करणैं कि बुति भै। हलियै लै खेत जोति हाला त सैंणियां
डलौट ल्हि ल्हि बेर खेतन में डेल फोणण जाण लागिन। मल गड़ जेठाणि क भै और तल गड़ भै
देराणि क। बैसागाका घाम में ढेल फोणण में हातनै कि लोति निकलणै। जेठाणि लै मन मनै कयो
मैं किलै यो बबालि काम करूं। आपण खेताका डलन कैं सिमेरि सिमेरि बेर उ देराणिं क खेतन
खितनी रै। देराणि रत्तै बै रात पणण तक डेल फोणण में लागी रूनैर भै।