भाषा : प्रकार :
रचना की दृष्टि से धातुओं को दो भागों में विभाजित किया जाता हैः
अ – मूल धातु : रचना के आधार पर एक अर्थवान इकाई वाली स्वतंत्र
धातु को मूल धातु कहते हैं। मूल धातुओं को दो कोटियों में रखा जा सकता हैः
1. सामान्य : अपने मूल रूप में कर्तृभाव प्रकट करने वाली धातुएँ सामान्य कोटि
में आती हैं; जैसेः टा्ेड़, फा्ेड़ आदि।
उ ढुंग टोंड़्छ।
उ डल्ल फा्ेंड़्छ।
2. स्वीकृत : अपने परिवर्तित रूप में कर्मणिभाव प्रकट करने वाली धातुएँ
स्वीकृत कोटि में आती हैं। जैसेः टुट्, फुट् आदि।
ढुंग टुँट्छ।
डल्ल फुँट्छ।