कबीर वाणी
अनुवाद : मा्ल :
कबिरा यो मा्ल काठ की
त्वे सतझूणै छी
घुमै नि सकनै आपण मन
किलै घुमूंछै मी
माल घुमणै छू हाथ मैं
जिबाड़ घुमण मुख मैं
मन घुमणौं चारों दिसा
यो त पाठ पुज नैं
दुख मैं करणी याद सब
सुख मैं नि करण क्वे
सुख मैं वी खन याद रा्ख
दुख नि होल कभै