लोकगीत : दुल्हा को बाबा :
छाजा मैं बैठी समदिणी पूछे
को होलो दुल्हा को बाबा ए
कालो छ जूतो पिंहली छ टांकी
वी होलो दुल्हा को बाबा ए
खोखला बूढ़ाे लंबी छ दाड़ी
वी होलो दुल्हा को बाबा ए
थर-थर जैका कांपनी हाथ
वी होलो दुल्हा को बाबा ए
काली छ हस्ति जरद अंबारी
वी होलो दुल्हा को बाबा ए