भाषा : धातु :
कुछ करने या होने की सूचना प्रदान करने वाले रूप को क्रिया कहते हैं। क्रिया
की रचना धातु से होती है। धातु को क्रिया का मूलअंश भी कहा जाता है। जैसेः
उठ्, बैठ्, लेख्, पढ़् आदि। इन धातुओं में नो् जोड़कर क्रिया का सामान्य रूप
बनता है। जैसेः उठ्नो्, बैठ्नो, लेख्नो, पढ़्नो् आदि। कर्मकता की दृष्टि से धातुओं
के दो प्रकार माने जाते हैंः
1. अकर्मक धातुः अपना भाव प्रकट करने के लिए कर्म की अपेक्षा न करने वाली
धातु को अकर्मक धातु कहते है। जैसेः उठ्, बैठ्, हँस, रो आदि। अकर्मक धातु से
अकर्मक क्रियायें बनती हैं, जैसे – आद्मि हिटन्नौ। चेलि रुन्नै।
2. सकर्मक धातुः अपना भाव प्रकट करने हेतु कर्म की अपेक्षा करने वाली धातु को
सकर्मक धातु कहते हैं। जैसेः लेख्, पढ़्, खा, पि। सकर्मक धातुओं से सकर्मक क्रियायें
बनती हैं, जैसे – उ रो्ट खान्नौ। तु पानि पिन्नौ है।