लोकगाथा : गंगू रमोला 5
छिपा काखड़ी ले छिपा बासो लियो।
काँठा घुरड़ ले काँठा बासो लियो।
हर्याली धुरा का हिरण घरी गया।
गाजली घुरा का बाग घरी गया।
बार पाणीं पोखरी मिर्ग घरी ग्यान।
चैखुरा खली का गेण घरी ग्यान।
नीमूवाँ की डाली संज्या ढुलि ऐछ।
झूमि झूमि संज्या माता कैलाश ऐंन।
पूरब पच्छिम बटी संज्या माता ऐंन।
फूल की फुलवाड़ी बटी संज्या माता ऐंन।
फल का रुख बटि संज्या माता ऐंन।
भीडि़ का इचाल मँजी संज्या माता ऐंन।
पाटक दुलेंच मँजि संज्या माता ऐंन।
खोलि का द्वार तिर संज्या माता ऐंन।
लक्ष्मी माता संज्या थें पुछन पै गैंन-
त्वीले भुली संज्या, मेंस ढोग किलैन दिनी?
सुन्दर
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