कबीर वाणी
अनुवाद : मन :
तन हूं जोगी कर्नि सब
क्वे न करौं मन हूं
ऐरामे लै प्रभु प्राप्त हूं
जब मन जोग रचूं
बालौ ले कि बिगाडि़ रा
जिन मुनछै सौ बार
मन हूं किलै नि मूननै
जै मैं बिसै बिकार
ख्वर मुनन मुनन दिन गईं
अब लै नै मिल राम
राम नाम कय फैद की ?
मन छू औरे काम