सिनेमा : खिलौने :
सुलाने के अलावा बच्चों को मनाने या फुसलाने के लिए भी गाना-गुनगुनाना
पड़ता है। जैसे खाना खिलाने के लिए फिल्म ‘वचन’ का गीत – ‘चंदामामा
दूर के, पुए पकाएं बूर के, आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में’।
चंदामामा बच्चों का शाश्वत खिलौना है। उसकी स्नेहसिक्त चांदनी और माता
पिता के दुलार में बच्चे का समुचित विकास होता है। तुतलाते तुतलाते जब वह
बोलना सीख लेता है, तब अपनी बालोचित जिज्ञासाओं का शमन करते हुए अपने
परिवेश को समझने की कोशिश करता है –
मम्मी को चुम्मी पप्पा को प्यार
छोटे से सवाल हैं मेरे दो चार
जन्मदिवस आता है, खु’िायां लाता है और उपहार भी। उपहारों में आते हैं रंग
बिरंगे नए नए खिलौने। खिलौनों में गुड्डे गुडि़यों को परंपरागत सम्मान प्रदान
किया जाता है। जब पापा कहीं बाहर जा रहे होते हैं, तो उनकी दुलारी बेटी
चलते चलते उन्हें यह याद दिलाना नहीं भूलती कि ‘सात समंदर पार से, गुडि़यों
के बाजार से, अच्छी सी गुडि़या लाना, पप्पा जल्दी आ जाना’। जितनी जल्दी
गुडि़या आएगी, उतनी ही जल्दी वह उसे अपना गुड्डा दिखाकर पूछ पाएगी कि –
‘बोल मेरी गुड्डी तुझे गुड्डा कुबूल’ ?