लोकगाथा : गंगू रमोला 3
ईजुला का कुमार, बिजुला का लाडि़ला,
कृष्ण ज्यू का वरदाया, बद्रीनाथ का राजा;
द्वी भाई सिदुवा-बिदुवा तुमरो ध्यान जागो।
बैस बैंणी परियों को ध्यान जागो।
नौ वैंणी कुबलियौ, तुमरो ध्यान जागो।
नौ सो नागिरनी तुमरो ध्यान जागो।
चैसठ जोगिणी तुमरो ध्यान जागो।
सोल सौ अछरियौ, तुमरो ध्यान जागो।
खेंटू की बयाली पिन्नू की भराड़ी;
सोल सौ ऐड़ी, बार भाई जठिया;
सात भाई चनणियाँ, द्वी भाई धनकणियाँ;
सोल सौ बाँण तुमरो ध्यान जागो।
सुनि रये बैंणा तुमरी ऐ रैछ संज्याली बखत।
अतुला भनार बैठे दियड़ा की जोती।
धुनि का आसन, सुण भुलि संज्या।
पूरबै का दिना पछिमें ढुलि ग्यान।