विशेष : फोर्ट विलियम काॅलेज :
लाॅर्ड वेलेजली ने इंग्लैण्ड से भारत आने वाले आइ0 सी0 एस0 अधिकारियों को
यहां की भाषा सिखाने के लिए जाॅन गिलक्राइस्ट की अध्यक्षता में ‘आॅरिएंटल
सेमिनरी’ नामक संस्था की स्थापना की, जो बाद में कलकत्ता के फोर्ट विलियम
काॅलेज के नाम से प्रसिद्ध हुई। जाॅन गिलक्राइस्ट ने दो पुस्तकें भी लिखीं – डिक्शनरी
आॅफ इंगलिश एण्ड हिंदुस्तानी तथा हिंदुस्तानी व्याकरण।
फोर्ट विलियम काॅलेज के हिंदुस्तानी विभाग में 1802 ई0 में भाषामुंशी के पद पर
नियुक्त लल्लूलाल के अतिरिक्त सदल मिश्र ने भी अनेक ग्रंथ लिखे। लल्लूलाल लिखित
प्रेमसागर की खड़ीबोली में ब्रजभाषा तथा सदलमिश्र रचित नासिकेतोपाख्यान की भाषा
में पूर्वी हिंदी का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है।
इसी समय के खड़ीबोली हिंदी के अन्य लेखकों में से सदा सुख लाल का नाम विशेष
रूप से स्मरण किया जाता है, क्योंकि उनकी ‘सुख सागर’ में तत्सम शब्दावली को
वरीयता प्रदान की गई; जैसे – ‘जो क्रिया उत्तम हुई तो सौ वर्ष में चाण्डाल से ब्राह्मण
हुए, जो क्रिया भ्रष्ट हुई तो वह तुरंत ही ब्राह्मण से चाण्डाल होता है।’