भाषा : अव्यय :
भाषा के वे शब्द जो व्यय नहीं होते अर्थात् जो लिंग, वचन, कारक आदि व्याकरणिक
कोटियों से प्रभावित होकर अपना रूप परिवर्तित नहीं करते, अव्यय कहलाते हैं।
ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
1. क्रिया विशेषण अव्यय
क्रिया की विशेषता प्रदर्शित करने वाले अव्ययों को क्रिया विशेषण कहते हैं। कुमैयाँ
के क्रिया विशेषणों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैः
क – मूल क्रिया विशेषणः इस वर्ग में वे अव्यय आते हैं, जो मूलतः क्रिया विशेषणों
की भांति प्रयुक्त होते हैं। रचना की दृष्टि से इनके दो प्रकार माने जा सकते हैंः-
परम्परागत एवं सार्वनामिक।
अ – परम्परागतः अर्थ की दृष्टि से इन्हें निम्नवत् प्रस्तुत किया जा सकता हैः
कालवाचक : अब्बै, आज, कल, पैंली, हमेशा।
स्थानवाचक : अग्घा, पच्छा, तल्ली, मल्ली, भ्यार।
दिशावाचक : एत्थ, उत्थ, दैन, बौं, दूर।
परिमाणवाचक : थ्वड़, बा्ँकि, हल्को्, भा्रि, बस।
रीतिवाचक :-
1 – प्रकार वाचक ः उल्टा्े, सिधो्।
2 – निश्चयवाचक ः अवश्य, जरूर।
3 – अनिश्चय वाचक ः अक्सर, शायद।
4 – सादृश्यवाचक ः जसो, न्यारि।
5 – कारण वाचक ः किलै , तबैत
6 – स्वीकारवाचक ः अच्छ्य, होइ
7 – निषेधवाचक ः न, नैं , झन
8 – अवधारणवाचक ः इ। ही।,त। तो।, लै। भी।