गीत : आओ :
मन का मानसरोवर
दोनों हाथ उलीचें
आओ अपने बीच
प्यार के अंकुर सींचें
संघर्षों की धूप थका देती है जीवन
मतभेदों से नीरस हो जाता है आंगन
पंचतत्व की पंचवटी की पावन शोभा
सीता को हर ले जाता है कपटी आनन
मृगमरीचिका सा
सोने का हिरन न खोजें
संदेहों के पास
लक्ष्मन रेखा खींचें
आओ अपने बीच
प्यार के अंकुर सींचें