लोककथा : रीस ख्वै आपण घर :
हिंदी अनुवाद :
एक कौवे की दो पत्नियाँ थीं। एक पत्नी तो बड़ी लाड़ली थी उसकी, और दूसरी
उतनी ही अपेक्षित। एक बार कौवा सात समुद्र पार को रवाना हुआ। साथ में
उसने दोनों पत्नियाँ भी ले लीं। लाड़ली पत्नी को तो उसने चोंच से पकड़ा और
उपेक्षिता पत्नी को पीठ पर लादा और उड़ चला सात समुद्र पार को।
सौतिया डाह देखिए, भले ही कौवा दोनों ही पत्नियों को अपने पर लादे चल रहा
था, फिर भी उपेक्षिता पत्नी बुरा मान गई कि कौआ अपनी लाड़ली को तो मुँह
से उठाये चल रहा है और मुझे पीठ पर इस भाँति डाल रखा है। अब उड़ते-उड़ते
समुद्र के बीचों-बीच पहुँचा तो पीठ पर रखी पत्नी कहने लगी – ”देखो लोगों देखो
तो सही, एक कौवे के दो-दो विवाह, एक कौवे के दो-दो विवाह।“ क्रोध से भर
कर कौवा बोला उठा ”तुझ राँड को क्या मतलब, इससे तुम राँड को क्या मतलब।“
ज्यों ही कौवे ने बोलने के लिए मुँह खोला मुँह में रखी लाड़ली पत्नी छूटकर समुद्र
में डूब गई। इसीलिए तो कहा जाता है कि ‘‘क्रोध से अपना ही घर उजड़ता है,
परायों से भी अपना काम निकलवा लेना बुद्धिमानी है।‘‘