लोकगीत : काशी गमन :
कैले तोहे बाला बटू काशी लगाछ
बटू काशी लगाछ
कैले तोहे बाला बटू घर ही बोलाछ
बटू घर ही बोलाछ
बबज्यू मेरा ककज्यू मेरा नरिमोही ले काशी लगाछ
इहो काशी लगाछ
इजू मेरी काखी मेरी दयावन्ति घर ही बोलाछ
इहो घर ही बोलाछ
ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद अर्थवेद घर ही पढूंला
बटू घर ही पढूंला
चार ही वेद बटू घर ही पढूंला
बटू घर ही पढूंला ..