गीत : रात :
ख़्वाब देखा था बहारों ने
दिल जलाया यादगारों ने
चांदनी ने दूध से धोया
फिर हवाओं ने उसे पोछा
हो गया मौसम सुहाना पर
रात की कालिख न मिट पाई
लाख कोशिश की नजारों ने
वक्त की नदिया के धारों ने
बह रहे थे पल लहर जैसे
हर तरफ खामोश सा आलम
रंग जब उभरे उजाले के
बांग सी देने लगीं किरनें
मूंद लीं आंखें सितारों ने
दे दिया सूरज पठारों ने