लोककथा : शक्तिमान :
चूहा बादल के पास जाकर बोला – ‘स्वामी ! तुम्हारे साथ अपनी लड़की का
विवाह करना चाहता हूं।’ बादल ने कहा – ‘ मुझसे तो पवनदेव ज्यादा शक्तिमान
है। वह जब चाहते हैं, मुझे उड़ा देते हैं। तुम वहां जाओ।’ चूहा पवनदेव के पास
गया और बोला – ‘स्वामी ! तुम्हारे साथ अपनी लड़की का विवाह करना चाहता
हूं।’ पवनदेव ने कहा – ‘ पत्थर की शिला मुझसे भी ज्यादा शक्तिमान है।’ चूहे
ने पत्थर की शिला से वैसा ही कहा। पत्थर बोला – ‘में जड़ हूं। एक ही जगह
में रहता हूं। तुम धरती के पास जाओ।’
चूहा धरती के पास गया और वही बोला। धरती ने कहा – ‘पेड़ की जड़ें मुझे
बांध देती हैं। वह मुझसे भी ज्यादा शक्तिमान है। तुम वहां जाओ।’ तब चूहा पेड़
के पास जाकर बोला – ‘स्वामी ! तुम ही शक्तिमान हो, मेरी लड़की से विवाह
कर लो।’ पेड़ ने कहा – ‘भाई ! तुम लोग मुझसे भी ज्यादा बलवान हो। मेरी
जड़ें खोदकर सुखा देते हो। तुम अपनी बिरादरी में लड़की का विवाह कराओ ।
वही शक्तिमान है।’
अंत में चूहे ने खूब धूमधाम के साथ चूहे के साथ ही अपनी लड़की ब्याह दी।
चूहे ही सबसे बलवान हुए।