लोकगीत : वटुक स्नान :
किन येउ हलद मोलाई को हलद की सोभा ए
किन येउ घोटि घोटाई को हलद रंगीलो ए
किन येउ पैरन योग्य तो हलद की चूनरी
रामीचंद्र लछीमन हलद मोलाई तो हलद की सोभा ए
सीता राणी बहूराणी घोटि घोटाई तो हलद रंगीलो ए
बालक पैरन योग्य तो हलद की चूनरी
गंगा जमुना मिलि आई तो कलस भराइए
भाई बहन मिलि आई तो बालो नवाइए
कुमकुम कस्तूरी परिमल अंग पैराइए
नाइ धोइ बालो मेरो यज्ञ मैं बैठलो
तसू मेरा बाला की सुवरन दीठ ए …