लोककथा : शक्तिमान :
मुस बादव पास गे, बलाण – ‘‘स्वामी ! तुमन दगड़ आपणि चेलि बेऊण
चानूं।’ बादवैल क्वे – ‘मैं है बेर पवन देव शक्तिमान छन। ऊं जब चानीं,
मैकन उड़ै दिनीं। तू वां जा।’ मुस पवन देव पास गे और बलाण -‘स्वामी !
तुमन दगड़ आपणि चेलि बेऊण चानूं।’ पवन देवैल कै – ‘पांथर सिल मैं है
बेर ज्यादा शक्तिमान छन।’ मुसैल पांथर सिल हुणि उसै क्वे। पाथर बुलाण –
‘मैं जड़ छुं। यकै जाग मैं रौनूं। तू धरतिक नजीक जा।’
मुस धरतिक पास गे और उसै बुलाण। धरतिल क्वे – ‘बोटाक जड़ मैकणि
बादनीं। ऊं मैं है बेर शक्तिमान छन, तू वां जा।’ जब मुस बोटूं पास जै बेर
बुलाण – ‘स्वामी ! तुमै शक्तिमान छा, मेरि चेलि बिवै लियौ।’ बोटैल क्वे –
‘भाया ! तुमै लोग मै है बेर बलवान छा। म्यार जड़ खनिबेर सुकै दीछा।
तु आपणि बिरादरि मैं चेलिक ब्या करा। ऊई शक्तिमान छ।’ अंखीर मैं मुसैल
खूब धूमधाम करि बेर मुसै दगड़ आपणि चेलि बेवै दी। मुसै लोग सबूं है
बलवान भया।