सिनेमा : हमसफर :
अपनी डायलाॅग अदायगी के लिए मशहूर राजकुमार का फिल्म पाकीजा के लिए
ट्रेन में सो रही नायिका के पावों पर बोला गया एक संवाद पर्याप्त प्रभावशाली था।
इस फिल्म के एक गीत ‘यूं ही कोई मिल गया था सरे राह चलते चलते ’ के
संगीत में भी ट्रेन की सीटी की आवाज का असर है। इसके अलावा साथिया, द ट्रेन,
दो अजनबी, तीसरी मंजिल, जब वी मेट, शोले, कच्चे धागे, वाण्टेड आदि अनेक
फिल्मों में ट्रेन में तरह तरह की बारदातें परिलक्षित होती है।
फिल्म ‘चमत्कार’ में ट्रेन के लेडीज़ कंपार्टमेंट में भोले भाले नायक का होना नायिका
तथा उसकी सहेलियों के लिए एक गाने की सिचुएशन ही नहींं, बल्कि एक मीठा सा
डर भी पैदा करता है कि – ये बिच्छू मुझे काट जाएगा। अनु मलिक के संगीत और
आशा भोंसले की आवाज में आनंद बख्शी के गीत का अंतरा इस तरह है – ‘रब्बा
ओ रब्बा ये डिब्बा जनाना, आया कहां से ये……..?
जल्दी से इसकी तसवीर खींचो
गाड़ी को रोको जंजीर खींचो
गार्ड को बुलाओ, शोर मचाओ
जाने ना पाए बचकर