लोकगीत : गृहजाग :
ए जग दियड़ा जाग हो दियड़ा
रामीचंद्र लछीमन की
यज्ञसाला जाग हो दियड़ा
ए धन्य ओबरी धन्य ओबरी
सीतादेही बहूरानी धन्य
ओबरी जाग हो दियड़ा
चार तखत उज्यालो
अहो जाग दियड़ा
सर्व सुनू की रात
अहो जाग दियड़ा ……
लोकगीत : गृहजाग :
ए जग दियड़ा जाग हो दियड़ा
रामीचंद्र लछीमन की
यज्ञसाला जाग हो दियड़ा
ए धन्य ओबरी धन्य ओबरी
सीतादेही बहूरानी धन्य
ओबरी जाग हो दियड़ा
चार तखत उज्यालो
अहो जाग दियड़ा
सर्व सुनू की रात
अहो जाग दियड़ा ……