सिनेमा : मेलजोल :
बड़े बच्चों के आपसी मेलजोल की झलक तब भी मिलती है, जब वे चलती
ट्रेन की छत पर गीत गाते नायक के सुर में भी अपना सुर मिला देते हैं।
फिल्म ‘जमाने को दिखाना है’ में उदास पद्मिनी कोल्हापुरे को खुश करने के
लिए ऋषिकपूर ने शैलेन्द्र सिंह की जादूभरी आवाज में यह गाना गाया था –
होगा तुमसे प्यारा कौन
हमको तो तुमसे है
ए कंचन ! अरे ए कंचन ! प्यार
इस गीत में रास्ते में खड़े लोगों की ओर से कोरस गायकों द्वारा ‘ए कंचन’
को ‘ए कांछी’ कहकर दोहराने से आंचलिकता का पुट अवश्य आ गया है,
लेकिन खड़े रहकर चलती ट्रेन में गाने वाले के साथ ज्यादा देर तक मेलजोल
नहीं बनाया जा सकता। चलती ट्रेन के साथ मेलजोल के लिए कोई वाहन ही
साधन हो सकता है।