सिनेमा : अंदाज :
बंद वाहन के अंदर गाने वाले हीरो का बिंदास फिल्मांकन नहीं हो सकता,
इसलिए कभी पहाड़ी रेलगाड़ी में सफर कर रही खामोश आशा पारेख को
रोड में चल रही टैक्सी की छत पर बैठे देव आनंद ने बिलकुल नए अंदाज
से पुकारते हुए गाया था। जिया हो ! जिया हो जिया ! कुछ बोल दो,
अरे ओ ! दिल का पर्दा खोल दो –
जब प्यार किसी से होता है
तो दर्द सा दिल में होता है
तुम एक हसीन हो लाखों में
भला पाके तुम्हें कोई खोता है
जिस तरह प्यार में सिर्फ पाया ही नहीं जाता, खोया भी जाता है, उसी
तरह ट्रेन से सिर्फ जाया ही नहीं जाता, आया भी जाता है। जाने वाले
की जुदाई और आने वाले का इंतजार फिल्मों में गाने के लिए अच्छी
सिचुएशन्स होती हैं। मजे की बात ये है कि एक्टर का दिल उसे जानता है,
मानता भी है, पर पहचानता नहीं।