गीत : वहम :
ये किस तरह का गम है
मौसम की आंख नम है
यादों की वादियों में
अरमान खिल रहे हैं
तनहाइयों के भंवरे
क्योंकर मचल रहे हैं
कितना बड़ा सितम है
मौसम की आंख नम है
होती है कोई आहट
एहसास के घेरों में
उम्मीद की एक शम्मअ
जलती है अंधेरों में
हर पल तेरा वहम है
मौसम की आंख नम है