गीत : रूख न काटा
गैस मिलैं बजार मैं मिलौं मड़तेल
छाडि़ दिय अब आंसि बड़्याट को खेल
पार भिड़ मैं तू को छै घस्यारी रूख न काटा
इनूं बचूनै कि तेरि जिम्मेवारी रूख न काटा
रूख हुनीं द्याप्त जस रूख भगवाना
झाड़ पात फल फूल इन दिनान पराना
पराना लिजी होलि समझदारी रूख न काटा
पार भिड़ मैं तू को छै घस्यारी रूख न काटा
जो छन अनपढ़ गंवार उं काटनी रूख
दुनिया देखनै अब धरती को दूख
आप्न खुट मैं किलै बनकाटि मारी रूख न काटा
इनूं बचूनै कि तेरि जिम्मेवारी रूख न काटा