लोकगीत : चूडाकर्म :
नाऊ बेटा नाऊ बेटा पीड़ झन करिए
यां रे केशा यां रे केशा दूदै ले धोया
अमिरत सींचा घिरतै ले मांछा
इनु रे केशा पीड़ झन करिए
मेरा बाला कैं पीड़ झन करिए
माई तेरी सीतादेहि लै अंचलि करैंछ
काखि तेरी बहूराणि लै अंचलि करैंछ
बहिना तेरी सुभद्रादेहि लै थालि छोड़ैंछ
मेरा बाला कैं पीड़ झन करिए
लोकगीत : कर्णवेध
भयो है जी चूड़ाकरण, श्याम शहिजादे वरना
पांच बरस के जब भए, शहिजादे वरना
भयो है जी कर्णवेध, श्याम शहिजादे वरना
बाबुल लेखनी लिखाय, शहिजादे वरना
पढ़न गए पाठ शाला, शहिजादे वरना …