सिनेमा : इंजन
फिल्म ‘काला बाजार’ में रेलगाड़ी के एक डिब्बे में वहीदा रहमान के साथ
अन्य मुसाफिरों की मौजूदगी के बावजूद अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के
लिए बैचैन देव आनंद द्वारा अभिनीत गीत का संगीत इंजन की सीटी से शुरू
होता है, जिसे अचानक बांसुरी संभाल लेती है। शैलेन्द्र के गीत के अंतरों के
बीच में भी एस डी बर्मन ने यह धुन दोहराई है –
अपनी तो हर आह इक तूफान है
क्या करें वो जानकर अनजान है
ऊपर वाला जानकर अनजान है
इसी तरह फिल्म ‘बंदिनी’ में ट्रेन और शिप के इंजनों की पुकार के बीच
एस डी बर्मन की आवाज में गीतकार शैलेन्द्र के बोल ‘मेरा खींचती है
आंचल मनमीत तेरी हर पुकार’ के बाद इंजन की सीटी की मर्मस्पर्शी
आवाज गहराई तक प्रभावित करती है –
म्रेरे साजन हैं उस पार
मैं मन मार हूं इस पार
ओ मेरे मांझी अबकी बार
ले चल पार ले चल पार