कविता : मत आना
जिंदगी ख्वाब नहीं
बेरहम हकीकत है
इससे भिड़ने को
रोजगार की जरूरत है
तुम अगर आए तो
आहट की भनक पाकर के
दिल में इक दर्द
जो सोया हुआ है मुद्दत से
जग न जाए ये
नामुराद बड़ा जिद्दी है
पास पाएगा तकल्लुफ़ में
उलझ जाएगा
खुद भी तरसेगा और
हमको भी तरसाएगा
इसलिए वाकई में मत आना
मेरे मेहबूब मेरी बात सुनो