सिनेमा : स्वतंत्रता
राष्ट्र का बोझ मिलकर उठाने की भावना के पीछे गणतंत्र की स्वतंत्रता की
अक्षुण्णताकी मनोवृत्ति प्रधान है, क्योंकि स्वतंत्रता प्राणिमात्र की सहज सी
अभिलाषा होती है। वह कष्ट उठाकर भी उसे छोड़ना नहीं चाहता। इसीलिए
प्रत्येक गणतंत्र दिवस के सभी भाषणों व वक्तव्यों में राष्ट्रीय एकता की महत्ता
पर प्रकाश डाला जाता है। इस एकता की आवश्यकता पर एक बार फिर से
चिंतन और उसको क्षति पहुंचाने वाले कारणों पर मनन करते हुए –
उट्ठो जवानाने वतन बांधे हुए सर से कफन
उट्ठो दकन की ओर से गंगो जमन की ओर से
पंजाब के दिल से उठो सतलज के साहिल से उठो
महाराष्ट्र की तुम खाक से देहली की अर्जे पाक से
बंगाल से गुजरात से कश्मीर के बागात से
नेफा से राजस्थान से कुल खाक ए हिंदुस्तान से
आवाज दो हम एक हैं .. हम एक हैं
– जां निसार अख्तर (फिल्म : हम एक हैं)