रुबाई : अरमान
कोई भी पल आता है इक बार दुबारा नहीं
सच्चा बादल छाता है इक बार दुबारा नहीं
हर इक पल को जीने का अरमान हमारा है
हर बादल को पीने का अरमान हमारा नहीं
सोते रोज नए सपनों के साथ दिवाने थक
उठते ताजी उम्मीदों के साथ सवेरे जग
मंजिल की ही राह बूझते और जूझते से
तकलीफों के साथ खेलते रोजगार से लग