भाषा : रूपध्वन्यात्मक परिवर्तन :
कभी-कभी संज्ञा में विभक्तियों के जुड़ने से उनके संधिस्थल के
रूपात्मक एवम् ध्वन्यात्मक स्तर पर यत्ंिकचित परिवर्तन हो
जाता है। कुमैयाँ के संज्ञा रूपों में उपर्युक्त विभक्तियाँ लगने से
निम्नलिखित परिवर्तन परिलक्षित होते हैंः
1 – ओकारान्त शब्दों में जुड़ने वाली विभक्ति ‘आ्’ अन्तिम
ओ् को विस्थापित करने के बाद लगती है, जैसेः मुसो्
+ आ् = मुसा अथवा चेलो् + आ् = च्या्ल। च्या्ल में
‘य’ का आगम अगले नियम के आधार पर हुआ है।
2 – ए तथा ओ युक्त शब्दों में विभक्ति लगने पर ए का य
तथा ओ का व हो जाता है। जैसेः तेरो + आ = त्यरा्
अथवा घो्ड़ो् + आ = घ्वड़ा्