गजल : न रोको :
ख्वाहिश नहीं करते हो तो करने से न रोको
जीने नहीं देते हो तो मरने से न रोको
तय है जरूर आएगा पतझड़ का जमाना
पर आस की कलियों को संवरने से न रोको
ये बात गवारा है कि उल्फत न करेंगे
पर शहर की गलियों से गुजरने से न रोको
झड़ जाएंगे तो झूम के महकाएंगे गुलशन
ये बीज हवाओं में बिखरने से न रोको